Director Message
प्रिय विद्यार्थियों,
मनुष्य ईश्वर की अनुपम, अद्भुत, व सर्वश्रेष्ठ कृति है। मनुष्य असीम शक्तियों का शक्ति पुंज है इसी शक्ति को सृजनात्मक, समाजोपयोगी व राष्ट्रोपयोगी बनाने का काम शिक्षक व व्याख्याताओं का है। कुम्भकार कच्ची मिट्टी से विभिन्न प्रकार के बर्तनों का निर्माण करता है। उसी भांति शिक्षण संस्थान/महाविद्यालय राष्ट्र की भावी पीढ़ी में संस्कार व राष्ट्रीय भावना का निर्माण करता है।
आधुनिक प्रतिस्पर्धा के युग में अपना स्थान निर्धारित करने के लिए सही, सटीक, लक्ष्यभेदी रणनीति की आवश्यकता है। महाविद्यालय, शिक्षणकाल की इसमें अहम भूमिका है। यह भावी जीवन की दशा व दिशा बदलने की मुख्य धुरी है। इसी भाव से प्रेरित होकर स्वामी महाविद्यालय की शुरूआत 29 जुलाई 2009 से हुई, तभी से लेकर आज तक महाविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में नये-नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। चूरू व रतनगढ़ स्तर पर महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम जिसका साक्षात प्रमाण है।
माँ सरस्वती विद्या व कला की देवी है। उनके इस मंदिर से अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें। कला की विविध विधाओं में भाग लेकर अपने व्यक्तित्व को विलक्षण बनाएं। मेरी अभिलाषा है कि आप देश के अच्छे वैज्ञानिक, कलाकार, विद्वान, सरकारी कर्मचारी, राजनेता व सच्चे इंसान बनें। समर्थ बनकर माता-पिता, गुरुजन और महाविद्यालय को कभी न भूलें।
शुभकामनाओं सहित
